Ayushmann Khurrana is in favour of Gender Neutral Awards !

Ayushmann Khurrana is in favour of Gender Neutral Awards !

Ayushmann Khurrana

आयुष्मान खुराना लैंगिक-आधार पर पुरस्कारों से दूर रहने की घोषणा करने वाले बर्लिन फ़िल्म फेस्टिवल की तारीफ़ करते हैं, और वह कहते हैं कि: ’हमें भी जेंडर-न्यूट्रल अवार्ड्स को ही आदर्श बनाना चाहिए!’

यूथ आइकन और हमारी जनरेशन के बड़े थॉट-लीडर्स में से एक, आयुष्मान खुराना इस बात से बेहद रोमांचित हैं कि बर्लिन इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल ने यह फैसला लिया है कि, अगले साल के एडिशन से इसके सभी परफॉर्मेंस अवॉर्ड्स जेंडर-न्यूट्रल होंगे! अब इस फेस्टिवल में बेस्ट एक्टर और बेस्ट एक्ट्रेस के अवॉर्ड्स के बजाय, केवल बेस्ट लीडिंग परफॉर्मेंस और बेस्ट सपोर्टिंग परफॉर्मेंस के लिए अवॉर्ड दिया जाएगा! भारत में लैंगिक समानता के बारे में खुलकर अपनी बात रखने वाले आयुष्मान खुराना इस फैसले से बेहद ख़ुश हैं!

यंग स्टार कहते हैं, “बर्लिन फ़िल्म फेस्टिवल ने जेंडर-न्यूट्रल अवॉर्ड्स देने का फैसला लिया है और मैं तहे दिल से इसका स्वागत करता हूं, और मुझे उम्मीद है कि भारत के साथ-साथ दुनिया भर के तमाम फ़िल्म फेस्टिवल्स भी ऐसा ही करेंगे। आख़िरकार हम सभी एक्टर्स ही तो हैं, और जेंडर-डिवीजन से हमारी सोसाइटी में लंबे समय से मौजूद भेदभाव उजागर होता है। इसलिए जेंडर-न्यूट्रल अवार्ड्स को आदर्श बनाना हमारे लिए बेहद अहम है, और एक साल के भीतर बेहतरीन परफॉर्मेंस के लिए एक्टर्स को इसी आधार पर अवार्ड देना चाहिए।

आयुष्मान मानते हैं कि फ़िल्में और फ़िल्म-स्टार्स इस मुद्दे पर लगातार बातचीत के जरिए समाज में लैंगिक समानता हासिल करने में बहुत बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। वह कहते हैं, “लैंगिक आधार पर भेदभाव की जड़ें काफी गहरी हैं, और इस हालात को बदलने में फ़िल्म इंडस्ट्री एक चैंपियन की तरह अपना योगदान दे सकती है। मेरे विचार से, आज के दौर में हमें जेंडर के आधार पर दिए जाने वाले अवार्ड्स की जरूरत नहीं है और इन्हें ख़त्म कर दिया जाना चाहिए।”

वर्सेटाइल एक्टर चाहते हैं कि भारत सभी अवॉर्ड फंक्शंस में भी इस ट्रेंड पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। एक्टर आगे कहते हैं कि, “वाकई, मुझे पूरी उम्मीद है कि भारत में सभी पुरस्कार समारोह सही दिशा में एक कदम उठाएंगे, और समाज को ज्यादा प्रोग्रेसिव बनाने की कोशिश करेंगे। मेरे ख़्याल से, बेहतरीन परफॉर्मेंस को जेंडर के आधार पर भेदभाव के बिना सिर्फ बेहतरीन परफॉर्मेंस की नज़र से ही देखा जाना चाहिए।”